Top 10 Moral Stories in Hindi | Hindi Moral Stories

दोस्तों, आप सभी का एक बार फिर से हमारे ब्लॉग पर बहुत-बहुत स्वागत है। आज हम इस आर्टिकल की मदद से टॉप 10 मोरल कहानियाँ (Top 10 Moral Stories in Hindi) पढ़ेंगे। यदि आपको भी Top 10 Hindi Moral Story पढ़ना है, तो आप इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें। 

हमें उम्मीद है कि यहां पर दी गयी Hindi Moral Stories पढ़कर आप सभी को अच्छी शिक्षा मिलेगी। यहां पर आपको सभी कहानियाँ हिंदी भाषा में क्रमबद्ध तरीके से पढ़ने को मिलेंगी।    

Top 10 Moral Stories in Hindi 

पहली कहानी – एकता में बल 

एक बार एक किसान था, जोकि गांव में रहकर खेती किया करता था। किसान के चार बेटे थे तथा सभी बेटे बहुत ही ईमानदार और मेहनती थे। किन्तु सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उन तीनों की आपस में बनती नहीं थी। 

वे चारों आपस में एक-दूसरे से छोटी-छोटी बातों पर लड़ते रहते थे। उन सभी की रोज-रोज की लड़ाई से किसान तंग आ चुका था। उसनें कई बार उन चारों को समझाने का प्रयास किया, किन्तु वह सफल न हो सका।  

बहुत समय बीत गया और किसान भी बूढ़ा हो गया। लेकिन तब भी उसके चारों बेटों के बीच लड़ाई बंद नहीं हुई। थक-हार कर किसान ने अपने चारों बेटों को आपस में मिलाने की एक निकाली। किसान ने अपने चारों बेटों को अपने पास बुलाया। अपने पिता का अंत समय देखकर वे सभी एक साथ अपने पिता के पास आये।  

अपने पिता के पास आकर उन चारों ने बुलाने का कारण पूँछा तब किसान बोला, “आज मै तुम चारों को एक कार्य देना चाहता हूँ और जानना चाहता हूँ कि कौन इस कार्य को भली-भाँति पूरा करता है। ”

इसके बाद किसान ने अपने बड़े बेटे से कुछ लकड़ियां लाने के लिए बोला और अपने सबसे छोटे बेटे को एक मजबूत रस्सी लाने के लिए बोला। इसके किसान के दोनों बेटों ने अपने पिता की आज्ञा मानकर लकड़ी तथा रस्सी लेने के लिए चले गए।

जब किसान का बड़ा लड़का, लकड़ियां लेकर आया, तो किसान ने अपने दूसरे बेटे को लकड़ी का गठ्हर बनाने के लिए बोला। तब तक किसान का छोटा बेटा रस्सी भी लेकर आ गया, तब किसान ने अपने तीसरे बेटे से उस गट्ठर को रस्सी से बांधने के लिए कहा, अपने पिता की आज्ञा के अनुसार किसान से तीसरे बेटे में लकड़ियों का गट्ठर रस्सी से बांध दिया।   

तब किसान के बड़े बेटे ने पूंछा, “पिता जी, अब हमें क्या करना है ?” इतने में किसान ने हँसते हुए कहा, “ अब तुम सब ये बताओ कि तुम चारों में से कौन इस लकड़ी के गट्ठर को अपने बल से तोड़ सकता है।”  

अपने पिता की बातें सुनकर किसान के चारों बेटों ने कहा पिता जी ये तो बहुत आसान है। इसे तो हम चुटकी बजाकर तोड़ सकते हैं। 

इतने में वे चारों पहले मै तोडूंगा – पहले मै तोडूंगा कहकर आपस ने फिर झगड़ने लगे। तब किसान ने कहा की मैंने तुम चारों को यहाँ पर आपस में झगड़ा करने के लिए नहीं बुलाया है। तुम सभी अपनी-अपनी बारी का इंतजार करो, तुम सबको मौका मिलेगा। 

किसान ने सबसे पहले अपने बड़े बेटे को मौका दिया, किन्तु वह बहुत प्रयास करने के बाद भी उस लकड़ी के गट्ठर को नहीं तोड़ सका। 

इसी प्रकार से किसान के चारों बेटों में अपना पूरा जोर लगाकर, लकड़ी के गट्ठर को तोड़ने का प्रयास किया किन्तु कोई भी उसे तोड़ नही सका।  

तब किसान के सबसे छोटे बेटे ने कहा, “पिता जी ! इसे तोड़ना तो संभव नहीं है। तब किसान मुस्कुराते हुए उठता है और उस गट्ठर को खोलकर सभी लकड़ियों को अलग-अलग कर देता है। ”

किसान अपने बेटों से बोलता है, अब इन अलग-अलग रखी लकड़ियों को कौन-कौन तोड़ सकता है। फिर क्या था? सभी ने अपने एक ही प्रयास में सभी लकड़ियों को तोड़ दिया।  

तब किसान अपने बेटों को समझाते हुए बोला, “बच्चों, तुम सभी इन लकड़ियों की तरह से हो, जब तक तुम चारों एक साथ रहोगे, तब तक तुम सभी को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। किन्तु यदि तुम लोग आपस में लड़ते रहोगे और अलग-अलग रहोगे, तो कोई भी तुम्हें इन लकड़ियों की तरह से तोड़ सकता है। ”

किसान की बातें सुनकर उनके चारों बेटों को समझ में आ गया कि उन्हें एक साथ मिलकर रहना चाहिए। इसके बाद से किसान के चारों बेटे आपस में मिलकर रहने लगे।   

इस कहानी से सीख (Moral Of Story in Hindi)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता में बहुत ताकत होती है। यदि हम आपस में मिलजुल कर साथ रहते हैं, तो कोई भी हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। 

दूसरी कहानी – प्यासा कौआ 

एक बार की बात है। गर्मी का मौसम था तथा बहुत तेज धूप हो रही थी। एक कौआ पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था। 

वह कौवा इतना प्यासा था कि उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसकी मृत्यु नजदीक ही है। तभी अचानक से उसकी नजर एक वृक्ष के नीचे रखे हुए घड़े पर पड़ती है। जिसे देखते ही कौए के जान में जान आ गयी।  

वह तुरंत ही उड़कर उस घड़े के पास पहुंचा, किन्तु उसने जब घड़े में झाँककर देखा तो घड़े में पानी बहुत ही कम था। जिस वजह से उसकी चोंच पानी तक पहुंच नहीं पा रही थी। कौए के बार-बार प्रयास करने पर भी वह पानी पीने में असमर्थ रहा।  

पानी पीने के कई असफल प्रयास के बाद कौवा बहुत थक चुका था। तभी अचानक से उसकी दृष्टि पास ही पड़े छोटे-छोटे कंकड़ों पर पड़ती है। जिसे देखते ही कौवे के दिमाग में एक आईडिया आया।

उसने सोंचा कि यदि वह इन छोटे-छोटे कंकड़ों को घड़े में डालेगा, तो धीरे-धीरे नीचे का पानी ऊपर आ जायेगा तथा वह उस पानी को पीकर अपनी प्यास बुझा सकेगा।   

निरंतर अपनी कड़ी मेहनत के बाद वह उस घड़े में इतना कंकड़ डाल देता है कि नीचे का पानी ऊपर आ जाता है। जिसे पीकर कौवा अपनी प्यास बुझा लेता है। इस प्रकार से उसके प्राण बच जाते हैं। 

इस कहानी से सीख (Top 10 Moral Stories in Hindi)

दोस्तों, हम सभी को इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि परिश्रम ही सफलता की चाबी है। निरंतर प्रयास तथा जी तोड़ मेहनत के बल पर किसी भी असंभव लगने वाले लक्ष्य को भी हाँसिल किया जा सकता है। 

तीसरी कहानी – चींटी की सूझ-बूझ (Top 10 Moral Stories in Hindi)

एक बार की बात है, गर्मियों का दिन था। सभी लोग तेज धूप और गर्मी से बचने के लिए अपने-अपने घरों में ही रहते थे। सभी पक्षियों ने गर्मी से बचने के लिए घने वृक्षों की डालियों का सहारा लिया हुआ था। टिड्डे भी गर्मी से बचने के लिए झाड़ियों में छुपकर बैठे हुए थे। लेकिन इन सभी के अतिरिक्त एक चींटी सनसनाती हुई धूप में अपने लिए भोजन एकत्रित कर रही थी। 

चींटी को देखकर टिड्डा उसका मजाक बनाते हुए बोला, “तुम इतनी तेज धूप में आराम करने की जगह भोजन जुटाने में लगी हो, जैसे कि मानो अकाल पड़ने वाला है। तुम भी जाओ किसी ठंडी जगह पर आराम करो तथा कुछ मौज मस्ती करो। ”

टिड्डे की बातें सुनकर चींटी बोली, “मेरे पास मौज-मस्ती का बिलकुल भी वक्त नहीं है। बहुत ही जल्द सर्दियों का मौसम भी आने वाला है तथा मुझे अभी बहुत सारा भोजन इकट्ठा करना है। ”

इतना कहकर चींटी अपने काम में व्यस्त हो गयी।

गर्मियों का मौसम बीतते ही बहुत कड़ाके की सर्दी पड़ने लगी। चारों तरफ बर्फ फैली हुई थी। अब टिड्डे को बहुत तेज भूँख लग गयी, किन्तु उसे कहीं पर कुछ भी खाने को नहीं मिल रहा था। अंत में जब उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला, तो वह चींटी के घर गया और उससे कुछ खाने के लिए माँगने लगा।     

तब चींटी बोली, “जब मै कड़कती धूप में भोजन इकट्ठा कर रही थी, तो तुम मेरा बहुत मजाक उड़ा रहे थे। अब तुम यहां से चले जाओ मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है। ”

इस कहानी से शिक्षा (Moral Story in Hindi)

दोस्तों, इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें सदैव ही वर्तमान समय का आनंद लेते हुए, भविष्य की भी चिंता होनी चाहिए।  

चौथी कहानी – मधुमक्खी का डंक (Top 10 Moral Stories in Hindi) 

एक बार एक मधुमक्खी थी। वह पूरे दिन बहुत मेहनत करती रहती थी। प्रतिदिन वह एक फूल से दूसरे फूल पर जाकर उसका रस चूसती तथा फिर उसे अपने छत्ते में ले जाकर फूलों के रस से शहद बनाती थी।  

एक दिन उसने सोंचा कि मैं पूरे दिन मेहनत करती रहती हूँ, फिर भी डर लगा रहता है कि कहीं कोई अचानक से मेरा शहद न चुरा ले जाये। 

इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए एक दिन वह मधुमक्खी गुरु बृहस्पति के पास जा पहुँची। यह गुरु बृहस्पति को थोड़ा सा शहद भेंट करके बोली, “गुरुदेव ! मैं दिनभर की कड़ी मेहनत से शहद बनाती हूँ और कोई भी आकर बड़े ही आसानी से मेरा शहद चुरा ले जाता है। अतः मुझे एक ऐसा डंक दीजिये, जिससे कि मै शहद चुराने वाले को डंक मारकर घायल कर सकूँ। ”   

मधुमक्खी की बातें सुनकर गुरु बृहस्पति को बहुत बुरा लगा। लेकिन फिर भी उन्हें उस मधुमक्खी को वरदान देना ही पड़ा। किन्तु उन्होंने एक शर्त भी रखी, कि तुम किसी भी व्यक्ति को अपना डंक मारकर जान से नहीं मारोगी, नहीं तो वह डंक तुम्हें ही जान से मार डालेगा। 

इस कहानी से शिक्षा (Moral Of Story in Hindi)

दोस्तों, इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है किसी दूसरे व्यक्ति का बुरा करना बहुत बड़ा पाप होता है।

पांचवीं कहानी – सोने का अंडा  (Top 10 Moral Stories in Hindi)

एक बार की बात है रामपुर नामक गांव में एक बहुत ही गरीब किसान रहता था। वह प्रतिदिन अपने खेतों में काम करता तथा उसी से अपना घर बड़ी ही मुश्किल से चलाता था। 

एक दिन वह प्रतिदिन की तरह ही अपने खेत से घर वापस आ रहा था। तभी अचानक उसकी नजर एक घायल मुर्गी पर पड़ती है, जिसके शरीर से बहुत खून बह रहा था। फिर उस गरीब किसान ने उसे उठाकर अपने घर ले कर आया और उसकी मरहम पट्टी की, जिससे बहुत ही जल्द वह मुर्गी पूरी तरह से स्वस्थ हो गयी।  

एक दिन मुर्गी ने गरीब किसान से कहा कि तुमनें मेरी बहुत सेवा की है, अतः अब से मैं तुम्हें प्रतिदिन एक सोने का अंडा दूंगी। अब मुर्गी प्रतिदिन एक सोने का अंडा देने लगी, जिसे किसान बाजार में ले जाकर अच्छी कीमतों पर बेच दिया करता था।   

देखते ही देखते वह गरीब किसान बहुत धनवान हो गया। लेकिन एक किसान ने सोंचा मुझे प्रतिदिन इसे खाना देना पड़ता है, क्यों न मै इसके पेट से एक ही बार में सारा अंडा निकाल कर बेच दूँ। 

अतः अब किसान ने एक चाकू से बेचारी मुर्गी का पेड़ डाला, किन्तु उसे मुर्गी के पेट में एक भी अंडा नहीं मिला। अब उसे प्रतिदिन जो एक अंडा मिलता था, वह भी हाँथ से चला गया। 

इस कहानी से शिक्षा (Top 10 Hindi Moral Stories )

दोस्तों, इस कहानी से हमें यह कभी भी बहुत ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए। अधिक लालच में अक्सर हम अपना ही नुकसान कर लेते हैं। 

छठवीं कहानी – चिड़िया का घोंसला (Top 10 Moral Stories in Hindi)

एक बार एक खेत ने पिंकी नाम की एक चिड़िया घोंसला बना कर रह रही थी। वह जिस घोसले में रह रही थी वह बहुत पुराना हो गया था। सर्दियों का मौसम आने वाला था, इसलिए पिंकी ने सोंचा कि वह क्यों न एक नया घोंसला बना ले। 

पिंकी ने एक दिन पूरी मेहनत से एक-एक तिनका चुनकर नजदीक के ही एक खेत में एक नया घोंसला तैयार किया। अब उसने नए घोंसले में जाने से पहले सोंचा कि क्यों न आज पूरी रात इसी पुराने घोंसले में बिता लेती हूँ। कल सुबह दिन के उजाले से अपने नए घोंसले में  अपना पहला दिन गुजारूंगी।  

रात भर पिंकी ने पुराने ही घोंसले में अपनी रात गुजारी, लेकिन जब वह अगले दिन सुबह अपने नए घोंसले में गयी, तो देखा कि उसका घोंसला उजड़ा हुआ है। अपने नए घोंसले को इस तरह से बिखरा हुआ देखकर पिंकी बहुत मायूस हो गयी।

अपनी कड़ी मेहनत को इस तरह से बेकार जाते देख पिंकी की आँखों में आँसू भर चुके थे। उसने पूरे दिन बिना कुछ खाये-पिये अपना घोंसला बनाया था और किसी ने उसके मेहनत को एक रात में ही उजाड़ दिया था।    

लेकिन फिर भी पिंकी एक गहरी साँस लेकर हल्का सा मुस्कुराई तथा कुछ ही सब कुछ भूलकर अपने लिए फिर एक-एक तिनका बीनकर अपना आशियाना बनाने लगी। इसके उसने सुबह से शाम तक अपनी कड़ी मेहनत से अपने लिए फिर  घोंसला तैयार कर लिया।

अब पिंकी खुशी-खुशी अपने नए आशियाने में रहने लगी।

इस कहानी से शिक्षा (Top 10 Moral Stories In Hindi)

दोस्तों, इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि आपके साथ कुछ बुरा होता है, तो हमेशा उसकी शिकायत नहीं करते रहना चाहिए। हमें अपनी किस्मत को कोसते नहीं रहना चाहिए। ऐसा करने से अच्छा है कि बिना अपना समय गवाएं दुगनी मेहनत के साथ अपने काम में जुट जाना चाहिए।  

सातवीं कहानी – मोटा मुर्गा (Top 10 Moral Stories In Hindi)

एक बार एक किसान के दो बैल थे। किसान के एक बैल का नाम रत्ना तथा दूसरे बैल का नाम पन्ना था। वे दोनों बैल बहुत मेहनती थे तथा दोनों मिलकर किसान के लिए बहुत किया करते थे। दोनों बैल दिन भर खेत में हल चलाते तथा बैलगाड़ी को खींचकर बाजार में ले जाया करते थे। 

किसान भी अपने दोनों बैलों की खूब अच्छे से देखभाल करता था। उन दोनों को किसान भर पेट खाना खिलाता था। किन्तु किसान उन दोनों से अपने खेतों में बहुत काम भी करवाता था। जब दिन भर दोनों बैल थक कर घर आते थे, तो दोनों घर आकर पेट भर खाना खाकर सो जाया करते थे।  

जब एक दिन दोनों बैल किसान के खेत से काम करके अपने घर में आये, तो उन्हें एक मुर्गा दिखाई पड़ा। किसान उस मुर्गे को प्रतिदिन चने, अनाज के दाने तथा अच्छी-अच्छी चीजें खाने को दिया करता था। मुर्गा दिन भर पेट भरकर खाता तथा दिन भर इधर-उधर घूमता रहता। अच्छा-अच्छा खाना खाने के कारण मुर्गा कुछ ही दिनों में मोटा हो गया। 

मुर्गे की मौज भरी जिंदगी को देखकर पन्ना ने रत्ना बैल से कहा, “हम दोनों पूरे खेतों में बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन इतनी मेहनत करने के बाद भी हमारा मालिक हमें इतना अच्छा खाना नहीं खिलाता है। जबकि दूसरी तरफ मुर्गा दिन भर कोई काम नहीं करता, किन्तु फिर भी किसान उसे अच्छा-अच्छा खाना खिलाता है। ” 

इतने में पन्ना बैल से रत्ना बैल ने कहा, “मेरे भाई तुम ऐसा मत सोंचो, किसान हम दोनों को  भी तो हरी-हरी घाँस तथा भूसा खाने के लिए देता है। इसके साथ ही हमें पीने के लिए ठण्डा-ठण्डा पानी भी देता है। हमारे सोने के लिए सूखी घाँस बिछाता है तथा हमारे आस-पास साफ सफाई भी रखता है। हमारा मालिक हमारा खूब अच्छे से ख्याल रखता है। हमें जितना भी मिल रहा हमें उसी में प्रसन्न रहना चाहिए। तुम देखना किसान मुर्गे को किसी वजह से ही खिला-पिलाकर हष्ट-पुष्ट बना रहा है। ” 

कुछ ही दिनों बाद दोनों बैलों ने देखा कि किसान अपने एक मित्र के साथ बहुत ही स्वादिष्ट भोजन कर रहा था। किन्तु उन्हें वह मोटा मुर्गा कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। तब जाकर उन दोनों को ज्ञात हुआ कि किसान ने अपने मित्र को स्वादिष्ट भोजन कराने के लिए काट डाला है। 

इस कहानी से सीख (Moral of The Story in Hindi)

दोस्तों हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमारे पास जो भी संसाधन मौजूद हैं, हमें उसी से संतुष्ट तथा प्रसन्न रहना चाहिए। 

आठवीं कहानी – मूर्ख कौवा (Top 10 Moral Stories in Hindi)

एक बार की बात है एक पेड़ पर एक कौवा रहता था। कौवे के पंख काले थे, जोकि उसे तनिक भी अच्छे नहीं लगते थे। वह जब कभी भी मोर के सुन्दर पंख को देखता था, तो उसको स्वयं से नफरत होने लगती थी। वह हमेशा सोंचता रहता था कि काश मैं भी इन सभी की तरह ही सुन्दर होता। 

एक दिन कौवे को जंगल में बहुत से मोरपंख बिखरे हुए दिखाई पड़े। उसने उसे अपने पंखों में लगा लिया और कौवों की झुण्ड में जाकर बोला, “तुम सब कितने बदसूरत हो, मै तो तुम सभी से बात भी नहीं कर सकता हूँ। ”  

इतना कहकर वह वहां से उड़कर मोरों के झुण्ड में जाकर बैठ गया। जब सभी मोरों ने उस कौवे को मोरपंख लगाए हुए देखा, तो वे सभी कौवे का मजाक उड़ाते हुए बोले, “इस काले कौवे को देखो! बेचारा ये तो मोर बनना चाहता है। हमें इसको सबक सिखाना चाहिए। ”

इतना कहकर उन सभी ने उस कौवे के सारे मोरपंख नोच लिए तथा उसे वहां से भगा दिया। वहां से बचकर कौवा अपने पुराने दोस्तों के पास फिर आ पहुंचा। किन्तु उसे उन सभी ने उसे अपने पास से यह कहकर भगा दिया कि तुम यहां से निकल जाओ हमें तुम्हारी दोस्ती को आवश्यकता नहीं है। 

इस कहानी से शिक्षा (Top 10 Moral Stories in Hindi)

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारे भीतर मौजूद कमियों को हमें स्वीकार करना चाहिए तथा अपने भीतर मौजूद गुणों को पहचानना चाहिए।

नौवीं कहानी – लालची चरवाहा (Top 10 Moral Stories in Hindi) 

एक दिन एक चरवाहा अपनी सभी बकरियों को लेकर पास के ही एक जंगल में चराने के लिए गया हुआ था। अचानक से बहुत तेज बारिश होने लगी, तो वह चरवाहा अपनी सभी बकरियों को हाँककर एक गुफा के भीतर ले गया। 

उसने गुफा के भीतर देखा कि पहले से ही कुछ जंगली बकरियां भी बारिश से बचने के लिए उस गुफा में ठहरी हुयी थी। चरवाहा बहुत प्रसन्न हुआ और उसने सोंचा अब मै इस बकरियों को भी अपने बकरियों के झुण्ड में शामिल कर लूंगा।   

इस लालच में चरवाहा जंगली बकरियों की खूब देखभाल करता, उन्हें हरी-हरी पत्तियां और घाँस खिलाता तथा अपनी बकरियों पर थोड़ा सा भी ध्यान नहीं देता था। 

जिस वजह से उसकी सभी बकरियां दिन-प्रतिदिन कमजोर होती चली जा रही थी। कुछ दिनों बाद जब बरसात बंद हुई, तो सभी जंगली बकरियाँ वापस जंगल में भाग गयीं।

तब चरवाहे ने सोंचा कि कोई बात नहीं अभी मेरे पास मेरी अपनी बकरियां तो हैं। लेकिन जब उसने अपनी बकरियों को देखा तो वे सभी भूंख के मारे जमीन पर मरी पड़ी थी। 

तब चरवाहे ने मन ही मन सोंचा कि मेरे जैसा मुर्ख कोई दूसरा व्यक्ति नहीं होगा। जिसने कि जंगली बकरियों के लालच में अपनी बकरियों से हाँथ धो लिया। फिर चरवाहा अपनी मूर्खता पर पछताते हुए अपने हाथों को मलता हुआ अपने घर वापस आ गया। 

इस कहानी से शिक्षा (Top 10 Moral Stories in Hindi)

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम सभी को सदैव ही संतोषी प्रवृत्ति अपनानी चाहिए।   

दसवीं कहानी – बाज और सियार 

एक बार एक पेड़ की सबसे ऊँची डाली पर एक बाज अपना घोंसला बनाकर रहता था। उसी पेड़ के नीचे एक सियार भी अपना घर बनाकर रहता था। एक दिन जब वह सियार शिकार करने के लिए अपने घर से बाहर गया हुआ था, तो बाज पेड़ से नीचे आकर सियार के बच्चे को उठा ले गया।  

जब शिकार करके सियार वापस आया, तो उसे अपने घर में उसका बच्चा नहीं दिखा। तब उसने पेड़ पर बैठे बाज से पूँछा, “क्या तुमने मेरे बच्चे को कहीं दूसरी जगह छिपाया है। कृपया मुझे मेरा बच्चा वापस कर दो, बहुत देर तक सियार बाज के सामने गिड़गिड़ाता रहा। ”

किन्तु जब बाज ने सियार के प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं दिया, तो सियार कहीं से एक जलती हुई लकड़ी लेकर आया और उसने बाज को चेतावनी दी कि, “यदि तुम मेरा बच्चा वापस नहीं करोगे तो आज मै इस पेड़ को आग लगा दूंगा। ”

और तुम्हारे बच्चे भी इस आज में जलकर खाक हो जायेंगे। तब बाज ने डरकर सियार को उसका बच्चा वापस कर दिया। 

इस कहानी से सीख (Moral Of The Stories in Hindi)

दोस्तों, इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें दूसरे के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए, जैसा कि हम सभी अपने प्रति चाहते हैं।    

निष्कर्ष: दोस्तों, आज हम सभी ने इस आर्टिकल में पढ़ा Top 10 Moral Stories In Hindi, यदि आप सभी को यह Hindi Moral Story पसंद आयी हो, तो हमें कमेंट करके अपनी राय जरूर दें।   

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